Thursday, November 21, 2024
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परिश्रम आपको क्या देता है?

परिश्रम आपको क्या देता है?

आप कहेंगे यह भी क्या अजीब सवाल है लेकिन मैं फिर भी यही कहूंगा कि कि आइए विचार-विमर्श करें कि आखिरकार परिश्रम मनुष्य को क्या देता है ।यह विचार-विमर्श इस लिए जरूरी है कि जब हमें अपने जीवन में इस प्रश्न का उत्तर पता होगा तो शायद हमारे जीवन का अर्थ ही कुछ अलग होगा ।
माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और कम्प्यूटर की दुनिया के नायक बिल गेट्स दुनिया में जहां भी जाते हैं तो लोग उनसे जो एकमात्र सवाल सबसे पहले पूछते हैं वह सवाल यही है कि “उनकी सफलता का राज क्या है? “इसमें मजेदार बात यह है कि बिल गेट्स भी इसका एक ही जवाब देते हैं और वह है “परिश्रम”।जी हां दोस्तों बिल गेट्स इसके आगे कहते हैं कि मेरे पास ऐसा कोई गोपनीय रहस्य नही है जिसके दम पर मुझे कामयाबी मिली है ।यदि इस कामयाबी का कुछ भी रहस्य है तो वह है केवल और केवल परिश्रम ।

सफलता ही नही सोशल वैल्यू भी देता है परिश्रम

अगर आप क्रिकेट के शौकीन हैं या फिर सचिन तेंदुलकर के फैन हैं तो इस तथ्य से परिचित होंगे कि उनके गुरू आचरेकर सर उन्हें अच्छा खेलने यानी आउट न होने के लिए एक सिक्का देते थे ।जब सचिन आउट ही नही होते थे यह सिक्का तभी मिलता था ।सचिन कहते हैं मेरे पास यह सिक्के आज भी संभाल कर रखी गई धरोहर के समान हैं ।
यह कहानी किसी के लिए केवल कहानी है लेकिन जो परिश्रम की ताकत से परिचित हैं उन्हें पता है परिश्रम हमें क्या-क्या देता है ।मुझे पूर्व सीबीआई डायरेक्टर श्री जोगिंदर सिंह जी की एक बात यहां याद आती है इससे आप को पता चल जाएगा कि परिश्रम से क्या क्या मिलता है ।जोगिंदर सिंह कहते हैं मैं साधारण से भी साधारण घर का साधारण छात्र था इस लिए स्कूल मे भी साधारण हैसियत थी मेरी लेकिन परिश्रम की ताकत मुझे तब एहसास हुई जब मैने आईपीएस क्लियर किया तो जो सहपाठी मेरी तरफ मुंह तक नही करते थे वो मुझे माला पहनाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे ।यह सच है कि यदि आप सचमुच ईमानदारी से कुछ भी पाने के लिए प्रयास करते हैं या परिश्रम करते हैं तो आपको समाज बहुत कुछ देता है ।

परिश्रम वास्तव में कहते किसे हैं?

क्या आपने कभी इस पर विचार किया है कि परिश्रम तो सभी करते हैं लेकिन सफलता सभी को नही मिलती ।इसी तथ्य में इस सवाल का जवाब छिपा है कि आखिर परिश्रम कहते किसे हैं और यह परिश्रम किया कैसे जाए ।अगर कोई व्यक्ति दिन भर किसी दीवार को धक्का दे
और शाम तक दीवार में कुछ भी परिवर्तन न कर पाए तो क्या इसे परिश्रम नही कहा जाएगा
जीहां इसे परिश्रम नही कहा जाता ।
परिश्रम किसी सकारात्मक परिवर्तन को प्राप्त करने केलिए सकारात्मक प्रयास को ही कहा जाता है ।न कि बिना सूझबूझ के किए जाने वाले दिशा हीन कार्य को ।
क्या आप जानते हैं भगत सिंह नियमित 13 से 20 घंटे तक काम करते थे ।और अपने क्रांतिवीर साथियों से सदैव कहा करते थे कि कोई भी काम तभी करना चाहिए जब हमें उस काम को करने में प्रसन्नता का आभास हो ।इसे सरल भाषा मे कहें तो रुचि के साथ किया जाने वाला सकारात्मक कार्य ही परिश्रम है ।

परिश्रम और सामाजिक वैल्यू

बड़ी ही सच्ची दोस्ती है परिश्रम और सोशल वैल्यू में ।जब भी कोई व्यक्ति अपनी किसी सार्वजनिक कोशिश में सफल होता है तो समाज उसके परिश्रम की कदर करते हुए उसे सामाजिक मान या मान्यता जरूर प्रदान करता है वहीं बिना लगन और परिश्रम के किए जाने वाले कार्यों में मिली असफलता को समाज कतई मान्यता नही देता ।समाज का सार्वभौमिक सत्य यह है कि सफलता उसे ही मिलती है जो समर्पित भाव से परिश्रम करता है और तभी समाज इस परिश्रम को स्वीकृति प्रदान करके सामाजिक सम्मान प्रदान करता है ।

परिश्रम और सोशल वैल्यू का राज

महात्मा गांधी ने अपनी जीवनी में लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका में जब वे पहली बार अदालत में वकालत के लिए खड़े हुए तो जज ने पूछा मैने अपनी पगड़ी क्यों नहीं उतारी तो मैने जवाब दिया महोदय मुझे ऐसा करना अपने लिए अपमान प्रतीत होता है ।और फिर मैने उनका जवाब सुने बिना ही अदालत छोड़ दी थी ।जब मैं बाहर आ गया तो कुछ मेरे ही हिन्दुस्तानी साथियों ने कहा ऐसे मे तो मैं हार जाऊंगा लेकिन मैंने कहा निश्चित रहें मुकदमा हम ही जीतेंगे ।
यहां एक बात उल्लेखनीय है कि गांधी जी की यही दृढता ही परिश्रम की कसौटी है ।जब भी परिश्रम में मानसिक दृढ़ता का समावेश हो जाता है तब परिश्रम चमक जाता है और फिर
सामाजिक वैल्यू मिलने में देर नही लगती ।

परिश्रम आपको क्या क्या देता है?

सच बात तो यह भी है कि परिश्रम आपको केवल सोशल वैल्यू ही प्रदान नही करता बल्कि वह बहुत कुछ और भी देता है ।सवाल उठता है कि परिश्रम आखिर और क्या-क्या देता है तो इसका जवाब कुछ इस तरह पढना चाहिए
परिश्रम करने वाले व्यक्ति से सभी लोग खुश रहते हैं चाहे घर वाले हों या बाहर वाले सभी परिश्रम का सम्मान करते हैं ।परिश्रमी व्यक्ति की सामाजिक छवि हमेशा सकारात्मक होती है
इसलिए याद रखें

मेहनत के बिना सफलता कभी नही मिलती

मेहनत हमेशा योजना बनाकर और व्यवस्थित ढंग से करनी चाहिए

हर काम को एक रचनात्मक पहलू से जोड़ना चाहिए
परिश्रम में आत्मविश्वास तो चाहिए ही समर्पित भाव का भी होना बेहद जरूरी है

अपने काम को कभी छोटा न समझना चाहिए हां इस बात का ख्याल रखना अच्छा होगा कि तमाम योजनाएं बनाने की बजाए एक ही योजना को पूरे मन से आगे बढाना चाहिए

ऐसे लोगो से बचें जिनकी आस्था परिश्रम मे नही हो
दूसरे को खुश करने की बजाय खुद को खुश रखने वाला काम करना चाहिए ।।

धन्यवाद
लेखक :केपी सिंह
15022018

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47 COMMENTS

  1. बहुत बहुत धन्यवाद सर! आपने परिश्रम के बारे इतनी अच्छी जानकारी दिए।

  2. सर यह सत्य है और पेरणादायक शब्द है धन्यवाद सर

  3. Parishram to sabhi karte he lekin jo yojna aur lakshya. Nirdharit karke kaam karte he unhe hi kaam ka pariam milta he.Aalsi dishaheen hota he isliye parishram hi nahi karta.
    Sir aapne gyan chakchhu kholdiye .Bahut sundar post lagi aapki. Dhanybaad

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