जब हम किसी जरूरत मंद व्यक्ति की मदद करते है तो हमें दिखने में तो ऐसा लगता है की हम किसी अन्य व्यक्ति की हेल्प कर रहे है | लेकिन वास्तव में हम अपनी ही मदद कर रहे होते है | ये मदद का नियम कहता है | ऐसा ही हमारे धर्म ग्रंथों में भी लिखा है कि यदि हम किसी का सहयोग करते है तो वो सहयोग वास्तव में हम अपना ही कर रहे होते है | और जब हमें जरूरत होती है तब वही सहयोग हमें दस गुना होकर वापिस मिलता है |
अगर हम मदद करेंगे तो हमें भी मदद मिलेगी | If we help we will also help.
एक बार की बात है की एक पिता और पुत्री एक गाँव में रहते थे | पिता जिसकी उम्र करीब 35 साल थी और उसकी पुत्री जिसकी उम्र करीब 8 साल थी | दोनों पिता – पुत्री एक घर में अकेले रहते थे | कहीं दूर गाँव से आकर नए गाँव में बसे थे | इसलिए उस गाँव में कोई भी उनकी जान पहचान का नहीं था | इसलिए वे दोनों ही अपने परिवार में थे | पिता बहुत ही खुश मिजाज का था और उस गाँव में अकेला था | इसलिए उसने सोचा क्यों न इस गाँव में कुछ लोगों से जान पहचान कर ली जाएँ |
तो उसने लोगों से जन पहचान बढ़ने के लिए एक फ्री औसधी देने का काम शुरू किया | जो की उसके परिवार में पहले से कोई देशी दवा देता था | यानी की उसके दादा – परदादा इस तरीके के देशी इलाज जानते थे | तो जब भी गाँव में किसी को कोई बुखार, शर्दी – खासी जैसी बिमारी होती तो वो उसके घर ही उसको देशी दावा देने चला जाता था | ये काम उसने सुबह शाम करना शुरू कर दिया था | जब भी उसे समय मिलता था तो जंगल से देशी जड़ी – बूटी खोज लाता था और उन्ही से साधारण बीमारियों की दवा बनाकर रख लेता था | बाकी समय में वो पास के शहर में ही किसी कम्पनी में नौकरी करने जाता था जिससे उनके परिवार का खर्च चलता रहता था | क्योंकि जो वो गाँव वाले लोगों को दवा देता था वो तो वह मुफ्त में ही देता था | इसके पीछे उसका केबल एक ही कारण था की जिससे नए गाँव में उसकी लोगों से जान पहचान तब भी हो जाएगी |
इस प्रकार दोनों पिता और बेटी की जिंदगी नए गाँव में अच्छे से गुजरने लगी | एक बार उसकी कंपनी ने किसी काम से पिता को 15 दिन के लिए बाहर भेज दिया | जब वो गाँव से गया तो अपने पडोसी और गाँव वालों को बोल गया कि वो उसकी बेटी का ख्याल रखें | वो 15 दिन कंपनी के काम से बाहर जा रहा है |
इस प्रकार उसकी बच्ची गाँव में ही रह गयी और वो परदेश चला गया | एक दिन अचानक उसकी बेटी बच्चों के साथ खेलती – खेलती गिर गयी और बेहोश हो गई | जब गाँव वालों ने देखा की किसकी बच्छी है तो पता चला की ये तो नए वैद्य जी की लड़की है वो तो कंपनी के काम से बहार गए है | उस समय फ़ोन नहीं होता था | इसलिए तुरंत ही कोई जानकारी नहीं दी जा सकती थी | तो गाँव वाले बुजर्ग लोगों ने बोला वैद्य जी की एक लड़की की देखभाल भी अगर हम उनके पीछे नहीं कर पाए तो हमारे जीवन का कोई मूल्य नहीं रहेगा | क्योंकि वैद्य जी अकेले ही सभी के इलाज के लिए घर – घर दौड़े चले आते थे | इसलिए गाँव से कुछ लोग लड़की को पास के अस्पताल ले गए |
पास के अस्पताल में जब डॉक्टर ने देखा तो कुछ दबाई देकर बड़े अस्पातल के लिए रवाना कर दिया कि इसका इलाज मेरे पास नहीं है | मुझे इस बच्ची की बीमारी समझ नहीं आरही है | आप इस बच्ची को तरंत ही शहर के अस्पताल ले जाईये | जब बच्ची पास के शहर के हॉस्पिटल में पहुंची और जांच हुई तो पता चला की बच्छी के दिल में छेद है | अगर 24 घंटे के अन्दर ऑपरेशन नहीं हुआ तो ये बच्ची बचेगी नहीं | जब ये बात गाँव वालों को पता चली तो उन्होंने डॉक्टर से ऑपरेशन का खर्च पूंछा तो डॉक्टर ने बताया की 20 हजार रूपए का खर्च आएगा | उस समय 20 हजार रूपए बहुत बड़ी कीमत होती थी | क्योंकि एक व्यक्ति को उस समय काम करने का 300 रूपए महिना मिलता था | यानी 10 रूपए रोज |
तो जो गाँव वाले लोग साथ में गए थे उनके पास भी इतने रूपए नहीं थे| तो उन्होंने डॉक्टर से बोला की डॉक्टर शाहब अभी तो हमारे पास इतने पैसे नहीं है | लेकिन आप ऑपरेशन की तैयारी कीजिये हम अपने गाँव जाकर शाम तक पैसे लेकर आते है |
हॉस्पिटल से एक व्यक्ति गाँव आया और उसने गाँव में जब ये पूरी बात बताई तो गाँव में किसी के भी पास इतने रूपए नहीं थे | फिर एक बुजुर्ग व्यक्ति ने पुछा अपने गाँव में कितने परिवार रहते है | तो किसी ने बताया कीअपने गाँव में टोटल 1000 परिवार रहते है | बुजुर्ग बोला एक काम कीजिये सभी परिवार से 20 – 20 रूपए लीजिये | अगर कम पड़ेंगे तो फिर कुछ और इंतजाम करेंगे |
फिर क्या था 10 लड़के पूरे गाँव में घर – घर पैसे लेने के लिए निकल गए और उन्होंने एक ही बात बोली की जो हमारे गाँव में नए वाद्य जी आये थे उनकी बेटी का ऑपरेशन होना है और 20 हजार की जरूरत है और वैद्य जी गाँव से बाहर कम्पनी के काम से गए है और ऑपरेशन आज ही होना है | इसलिए गाँव के लोगों से निर्णय किया है की हर परिवार से 20 – 20 रूपए ऑपरेशन के लिए दिया जाएँ | अब वैद्य जी को तो सभी जानते थे | क्योंकि कभी न कभी तो वो उनके घर गए ही थे | दवा देने के लिए | इसलिए किसी ने बिना कोई सवाल किये 20 रूपए निकाल कर दे दिए | इस प्रकार उसी रात को वैद्य की जी लड़की का इलाज हो गया और लड़की की जिन्दगी बच गयी |
जब कुछ दिन बाद वैद्य जी वापिस गाँव आये और उनको जब पूरी बात पता चली और जब ये सुना की 20 हजार रूपए ऑपरेशन में खर्च हुआ है तो वैद्य जी बहुत ही परेशान हो गए | क्योंकि उस समय एक सामान्य व्यक्ति 20 हजार रूपए अपने पूरे जीवन में नहीं कमा सकता था तो किसी की इतनी बड़ी उधारी कैसे चूका पाता |
जब वैद्य जी ने पूंछा की पैसे किसने दिए है तो बताया की पूरे गाँव ने दिए है | और आपको उधार नहीं दिए है | अपनी बेटी के इलाज के लिए दिए है | जब आप पूरे गाँव के लोगों का इलाज मुफ्त में करते हो तो क्या हम इतना भी नहीं कर सकते है की आपकी बेटी के इलाज के लिए 20 रूपए भी दे सकें | तो इस प्रकार वैद्य जी के ऊपर किसी का भी 20 रूपए से ज्यादा का कर्ज ही नहीं हुआ और 20 रूपए कभी किसी ने वैद्य जी से लिए नहीं |
तो आप समझ ही गए होंगे की वैद्य जी की जो मदद लोगों ने की वो उसी का परिणाम था जो वैद्य जी ने गाँव वाले लोगों की बीमारियों का इलाज फ्री में करके की थी |
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Bahut sundar heidaysparshi kahani he. Jeewan ko saral sahyog karke banaya ja sakta he. Jinki samajh me aa gaya usne jeevan jeevant bana liya. dhanybad
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Bohat achchi baat seekhi
Dhanyawad
Wow superb post mam spl parivar ki Jay ho
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बहुत अच्छी जानकारी दी गई है।
अच्छा ब्लॉग पोस्ट है।
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