जैसा की आप सभी जानते है “स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन” जो गरीब, बेरोजगार और बेसहारा लोगों के लिए काम करती है और जो भी व्यक्ति इस संस्था से एक बार जुड़ जाता है और इस संस्था के अकोर्डिंग काम करता है | तो उस व्यक्ति को मेहनत बहुत कम करनी पड़ेगी और पैसा और नाम बहुत अच्छा कमा सकता है !! इसी बजह से आज इस संस्था के साथ बहुत कम समय में 40 लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके है | जो ऑनलाइन और ऑफलाइन अनेकों प्रकार से संस्था से जुड़ें हुए है !!
इस संस्था के संस्थापक श्री सत्यपाल सिंह जी का कहना है की वो इस संस्था से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस काबिल बना देंगे की उसको अपने जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं होगी यानी कि उनका कहना है , कि वो इस संस्था से जुड़ने वाले सभी लोगों के लिए ऐसे रोजगार के साधन विकिसित करने का प्रयास कर रहें हैं, जिनमें मेहनत कम और इनकम ज्यादा हो !! उनके पास इस प्रकार के लगभग 4500 ऐसे कार्यों की सूची है जिनपर ज्यादातर भारतीय ध्यान ही नहीं देते है और वो सभी काम हमारे देश में अंग्रेजों के द्वारा किये जाते है | यही कारण है की हमारे देश की ज्यादातर इनकम विदेश में जाती है और हम सिर्फ अपने भाग्य को कोसते रह जाते है, कि ये सब हमारे भाग्य में नहीं है, हमारी किस्मत ख़राब है, हमें भगवान ने इस लायक नहीं बनाया, कि हम भी अमीर बन सकें और अपने सपनों को सच कर सकें !!
S P SINGH SIR का मानना है, कि ऐसी बातें जानवरों को तो सोभा देती है, क्योंकि उनके पास दिमाग नहीं होता है | लेकिन अगर ऐसी बातें कोई इंसान करें तो ये अच्छी बात नहीं है !!
S P SINGH SIR का मिशन हैं देश से बेरोजगारी नाम की बीमारी को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना और सभी के सहयोग से ऐसे नये भविष्य का निर्माण करना जिसमें हर व्यक्ति को अपने सपनों को सच करने की आजादी हो, अपने जीवन को मायूस होकर ना कोई गुजारे और किसी अनाथ को कभी ये ना लगे की में अनाथ हूँ, किसी बेरोजगार को ये ना लगे की में बेरोजगार हूँ, किसी बृद्ध की आखों में इस बात के लिए आंसू ना हो की उसका कोई ख्याल रखने वाला नहीं है !!
S P SINGH SIR के बारे में पूरी जानकारी और उनका जीवन संघर्ष ! SP SINGH FULL BIOGRAPHY !
इससे पहले की मैं, S P SINGH SIR के समाज कल्याण के मिशन के बारे में बताऊँ, उससे पहले कुछ बातें में आपको S P SINGH SIR के बारे में बता दूं की उन्होंने अपने जीवन में अभी तक, इतनी छोटी सी उम्र में क्या – क्या कर लिया है !!
वैसे तो उनके जीवन के पिछले 10 साल के क्रिया कलापों को विस्तार से बताने में मुझे कम से कम 1 महीने का समय लगेगा लेकिन में यहाँ आपको केबल शोर्ट में कुछ पॉइंट ही बताउंगी !! उसी से आप समझ सकते है कि वो कितने साहसी है |
S P SINGH SIR का जन्म 10 जुलाई 1989 को जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश के एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था और उनके पिताजी एक छोटे किसान है ! घर में पैसे की परेशानी के चलते उनकी प्राथमिक शिक्षा कोई खास नहीं हुई !! प्राइमरी स्कूल से निकल कर उन्होंने अपना एडमिशन गवर्नमेंट के जूनियर हाई स्कूल में करा लिया और यही पर उन्होंने पहली बार A B C D और हिंदी और अंग्रेजी की किताब पढ़ना सीखा, और इसी दौरान वो अपने पिताजी के साथ खेती में काम भी किया करते थे |
और घर पर पशु व भैसों का भी काम करते थे | कक्षा 6 से लेकर 8 वीं पास करने तक उन्होंने उस दौर की सबसे हाई डिमांड को ध्यान में रखते हुए, गाँव में बजने वाले डेग और रेडियो के स्पीकर व रेडियो, डेग, ब्लैक एंड वाइट टीवी सही करना सीखा और यही काम वो अपने घर पर करते थे | कक्षा आठ पास करने के बाद, इन्होंने खेत से डायरेक्ट लोगो के पास सब्जी पहुंचाने का काम शुरू किया अर्थात सब्जी बेचने का काम और अच्छी खासी इनकम की |
फिर से इन्होंने अपना एडमिशन 9 वीं कक्षा में करा लिया और अपनी पढ़ाई के खर्चें के लिए उन्होंने लोगो के मथुरा तहसील से ( जो की उनके घर से 50 किलो मीटर की दूरी पर थी ) लोगो के जरूरी कागजात बनबाने का काम शुरू किया और वो सप्ताह में 2 दिन अपने घर से साईकिल द्वारा तहसील जाते थे जहाँ से वे लोगो के जाति, आय और निवास प्रमाण प्रत्र आदि बनबाते थे | इसी दौरान उन्होंने अपने घर पर एक और काम किया जो रेशन उत्पादन का था और ये काम इतना मुस्किल होता है कि कोई भी इसमें ज्यादा अच्छी परफॉरमेंस नहीं कर पाता है, फिर भी S P SINGH SIR ने इस काम को सबसे श्रेष्ठ किया और रेशम विभाग द्वारा, अपने द्वारा उत्पादित रेशम मूल्य के अलावा उस सेंटर में सबसे अधिक रेशन का उत्पादन करने का ईनाम भी लिया जो की 10000 रुपये था |
इसके बाद इन्होने डीजन इंजन सही करने का काम किया और डीजन इंजन से I T I की पढ़ाई के लिए एडमिशन भी लेलिया | किसी कारणवश इनको ये काम अच्छा नहीं लगा तो फिर से कक्षा 11 वीं में अपना एडमिशन लेलिया और उसी कॉलेज में बिना पूर्व कंप्यूटर ज्ञान के वहा कंप्यूटर के टीचर बनें, क्योंकि इनको एडवांस टेक्नोलॉजी का पहले से ही शौक था तो इन्होने कंप्यूटर सीखने के लिए दिन के 1 बजे से अपनी कोचिंग लगाई और 2 बजे से ये खुद पढ़ाते थे | यानी की कंप्यूटर सीख भी रहे थे और सीखा भी रहे थे और 11 वीं कक्षा की पढ़ाई भी कर रहे थे | और साथ में अपने पिताजी के साथ खेती का भी काम करना पड़ता था |
वही कंप्यूटर सेंटर पर किसी ने इन्हें उर्दू भाषा के विषय में जानकारी दी तो इन्होने उर्दू से दोबारा हाई स्कूल (प्राइवेट) का फॉर्म भर दिया और उर्दू, अरबी, फारसी भाषा एक मोलवी से हर दिन शाम को सीखने किसी मस्जिद में जाया करते थे | जहाँ इन्होने मुस्लिम रीती रिवाजों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा |
कक्षा 11 वीं के बाद इनकी नौकरी भारतीय रेलवे में लगी और इनकी पोस्टिंग गाज़ियाबाद में हुई और इनको रेलवे लाइन पर काम करना पड़ता था तो इनको ये नौकरी अच्छी नहीं लगी और छोड़कर फिर से 12 वीं कक्षा में पढ़ना शुरू कर दिया |
इस दौरान इन्होने फिर से कंप्यूटर सेंटर को चलाया और स्टूडेंट्स को कंप्यूटर की एडवांस जानकारी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बारें में भी सिखाया और तमाम अपने घर के रोजमर्या के कार्य और खेती से संबधित काम भी किया करते थे |
12 वीं की छुट्टियों के बाद इन्होने दिल्ली से सीडी, वीसीडी, डेग, घड़ियाँ और तमाम चीजों की सप्लाई अपने लोकल बाजार में की, जिससे इन्होने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अच्छा खासा पैसा कमा लिया और मथुरा के प्रसिद्ध BSA कॉलेज में कंप्यूटर की एडवांस पढ़ाई के लिए Bachelor of Computer Science में अपना एडमिशन ले लिया और मथुरा शहर में ही किराये पर रहेने लगे | जहाँ इन्होने बच्चों को गणित और कंप्यूटर की कोचिंग दी और फ्री समय में इन्होने एक फोटो स्टूडियो पर काम कर लिया | जहाँ से इन्होने फोटो और विडियो एडिटिंग सीखा और शादी – पार्टियों में विडियो ग्राफी करने भी जाते थे | और इसी साल इन्होने उर्दू से इंटरमीडिएट भी कर लिया |
यहीं पर पहली बार इन्होने समाज सेवा के लिए अपना नाम दर्ज कराया और पूरे 2 साल तक समाज सेवा का कोर्स पूरा किया | जिसमें उन्होंने पूरे मथुरा-वृन्दावन में घूम-घूम कर लोगो को समाज सेवा के लिए जागरूक किया और मथुरा के सबसे बड़े मंदिर श्री गिर्राज जी महाराज में 15 दिन के लिए महंत भी बने, जहाँ से इन्होने तमाम हिन्दू धर्म की रीति रिवाजो को भी सीखा और सही पूजा – पाठ कैसे होता है की शिक्षा भी प्राप्त की |
समाज सेवा और देश सेवा का इनके सर पर ऐसा भूत सवार हुआ की इन्होने इंडियन आर्मी की 2 वर्षीय ट्रेनिंग को ज्वाइन कर लिया और भारतीय सेना से तमाम नियम क़ानून और हर प्रकार के हतियार चलाना सीखा और अंत में निशाने वाजी में मैडल भी प्राप्त किया | और इसी दौरान इनकी नौकरी विधुत विभाग मथुरा में लग गयी | लेकिन इनको नौकरी से ज्यादा शौक नई -नई टेक्नोलॉजी को जानने का था तो इन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी ग्रेजुएशन यानि की बेच्लोर ऑफ़ कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई को पूरा करना उचित समझा और यह वह समय था जब इनकी ग्रेजुएशन यानि की बेच्लोर ऑफ़ कंप्यूटर साइंस का अंतिम साल था और इनको कॉलेज से ही कैंपस सिलेक्शन के द्वारा स्पाइस मोबाइल कंपनी में नौकरी मिल गयी, लेकिन इस नौकरी को भी कुछ दिन करने के बाद छोड़ दिया और अपनी खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी नॉएडा में ही खोल ली |
इनकी कंपनी अच्छी चल रही थी की तभी इनका नम्बर बैंक में आया और ये फिर से मथुरा वापिस आगये और बैंक में नौकरी करने लगे | बैंक की नौकरी को 1 साल पूरा हुआ ही था कि इनके दिमाग में विचार आया क्यों ना अपना खुद का बैंक खोल लिया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा | यहाँ जीवन भर नौकरी करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है और इन्होने बैंक की नौकरी छोड़ दी और अपनी खुद की बैंक खोलने के लिए प्रयास शुरू कर दिया | और फिर से नॉएडा पहुँच गए जहाँ इन्होने फाइनेंस सेक्टर में काम करने की पूरी जानकारी के लिए देश की जानी मानी बड़ी बड़ी कंपनियों में मेनेजर के पद पर काम किया जैसे इंडिया इन्फोलाइन, SMC एकुएटी और फण्ड , श्रीधर ब्रोकिंग, पायोनिअर फाइनेंस सर्विस और इन कंपनियों से जानकारी हासिल करने के बाद अपनी खुद की नॉएडा सेक्टर 18 में एक ब्रोकिंग कंपनी खोल ली यानी की अपनी खुद की बैंक जिसमें लगभग 60 कर्मचारी कार्य करते थे |
अभी S P SINGH SIR की बैंक को 1 साल पूरा होने ही बाला था कि तभी भारत सरकार के विभाग I R D A और S E B I की तरफ से सभी प्राइवेट कंपनियों के लिए नये गाइड लाइन जारी किये गए की, सभी प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों को 500 करोड़ रुपये की सिक्यूरिटी मनी जमा करनी होगी तभी आप अपनी कंपनी चला सकते है अन्यथा तुरंत अपनी कंपनी को बंद कर सभी का हिसाब क्लियर करें | किसी भी शिकायत और अन्यथा की स्तिथि में कानूनी कार्यवाही की जायेगी | अब इनके पास 500 करोड़ रुपये न होने की स्तिथि में अपनी कंपनी को बंद करना पड़ा और सभी कर्मचारियों को 3 महीने तक का एडवांस वेतन भी देना पड़ा | इसकी बजह से इनको बहुत ही नुकसान हुआ | लेकिन इन्होने यहाँ भी हार नहीं मानी और एक बार फिर से इन्होने अपनी किस्मत को इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स के फील्ड में लगाया और एक नई कंपनी SPL ECO SMART PRIVATE LIMITED. खोल ली और ATS और L and T जैसी देश की बड़ी – बड़ी कंपनियों को अपनी सर्विस देने लगे जिसमें इनका काम बड़े-बड़े ट्रांस्फार्म्स और कंपनियों में लाइट की सर्विस देना था |
यही पर इनके मन में एक नये विचार ने जन्म लिया कि हमारे पास हमारी खुद की कंपनी है और हमारे पास अपने कर्मचारी भी है और हम काम दूसरी कंपनी के प्रोडक्ट्स पर करते है | क्यों ना अपना खुद का ही प्रोडक्ट निकाला जाये | जिससे अपना नाम भी होगा और अपनी कंपनी का नाम भी बढेगा | बस फिर क्या था जहाँ नया विचार आया तो दूसरी तरफ काम शुरू हो गया | उसी समय दिल्ली के प्रगति मैदान में इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल कंपनियों की प्रदर्शनी लगी थी | जिसमें सभी इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रिकल कंपनी ओनर्स को आमंत्रित किया गया था | तो S P SINGH SIR भी उस प्रदर्शनी में अपनी कंपनी की तरफ से गए और वही पर इनकी मुलाकात एक चाइना की कंपनी से हुयी और इन्होने उस समय की हाई डिमांड L E D लाइट Manufacturing का काम अपनी कंपनी में शुरू कर दिया और पूरे देश में अपनी कंपनी की लाइट सप्लाई करने लगे |
अभी एक साल पूरा होने ही वाला था की तभी मोदी सरकार ने L E D लाइट को सस्ता कर दिया और इनकी कंपनी के प्रोडक्ट की डिमांड उसकी लागत कीमत से भी कम होने लगी और सभी कर्मचारियों में कंपनी को लेकर तमाम तरह की बाते शुरू हो गयी की अब ये कंपनी बंद होगी या चलेगी बहुत सारा माल स्टोक में पड़ा था | बाजर में माल की सप्लाई रुक चुकी थी | यह S P SINGH SIR के जीवन का सबसे बूरा दिन था | क्योंकि इतना बड़ा घाटा कंपनी को हुआ कि कम्पनी को फिर से उठाने के लिए कम से कम 50 लाख रुपये की जरूरत थी, लेकिन पूरा पैसा जो भी अब तक कमाया था वो तो कंपनी में लग चूका था | लेकिन S P SINGH SIR ने यहाँ भी हार नहीं मानी और कम्पनी के कर्मचारियों को निराश नहीं किया | अपनी कंपनी के सभी कर्मचारियों को अपनी जानकारी से दूसरी कंपनी में लगा दिया और अपना माल भी उसी कंपनी को दे दिया | और 16 लाख रुपये के कर्ज के साथ अपने घर वापिस आगये | S P SINGH SIR सर का व्यवहार अपने कर्मचारियों और तमाम बैंक के साथ बहुत ही अच्छा रहा था | इस बजह से इनको ज्यादा परेशानी नहीं हुयी और बैंक ने भी इनके ऊपर विश्वास किया और कोई कानूनी कारवाही नहीं की और कर्ज चुकाने के लिए 1 साल का समय दे दिया |
S P SINGH SIR के जीवन में ये वो दिन थे जब इनको कुछ भी दिखाई नहीं देता था और इनके घर वाले इनके ऊपर निगरानी रखते थे की कोई उल्टा सीदा काम ना हो जाए |
S P SINGH SIR के जीवन की एक सबसे अच्छी बात ये थी की इन्होने कभी अपनी पढ़ाई बंद नहीं की | और जितने दिन इन्होने नॉएडा में अपनी कम्पनियां चलाई उस दौरान भी इन्होने तमाम इंस्टिट्यूट से बिज़नस संबधी पढ़ाई की जिससे ये अपने बिज़नेस को अच्छा कर पाये और अपना और अपनी कम्पनी का नाम पूरे देश में फैला सकें | इतना बड़ा नुक्सान होने के बाद भी कभी इन्होने किसी से ये नहीं कहा की मेरे ऊपर कोई कर्ज है या फिर में ये कर्ज दे नहीं सकता हूँ, क्योंक S P SINGH SIR को पैसे कमाना तो शुरू से ही आता है, लेकिन दुःख इस बात का था की इतनी बड़ी कंपनी बनाने में इन्होने जो मेहनत की, और वे इस कंपनी को ज्यादा दूर तक नहीं ले जापाये | अब इन्होने कुछ दिन के लिए अपने मन को शांत किया और फिर से अपने ऊपर हुए कर्जे को समाप्त करने के लिए | मथुरा शहर के लोकल बिज़नस मेन्स के साथ अपने विश्वस्तरीय विचारों को रखा तो वे इनके साथ काम करने के लिए राजी हो गये और S P SINGH SIR ने मथुरा में तमाम लोगो के साथ उनके बिज़नेस में पार्टनरशिप की और कई नये बिज़नेस की शुरू आत की और बहुत कम समय में अपने सभी बिज़नेस पार्टनर्स को अच्छा फायदा दिया और अपना पूरा कर्ज बहुत कम समय मात्र 3 महीने में ही समाप्त कर दिया और एक दम फ्री हो गए |
अब इनके जीवन में कोई कमी नहीं थी सब काम सही चल रहे थे | इस प्रकार S P SINGH SIR ने अपने जीवन में 7 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोली है और उनमें से ज्यादातर चल रही है जो इनके पार्टनर संभाल रहे है और अब ये उन सभी कम्पनियों में सिर्फ अपना मार्गदर्शन देते है |
अब यहाँ से इनके मन में फिर से समाज के लिए कुछ बड़ा काम करने का विचार आया | ऐसा कुछ करने का, की पूरी दुनियां में अपनी एक अलग पहचान बना सकें | इस दौरान इन्होने मथुरा में कुछ अनाथ बचें और परेशान बृद्ध देखें और इनकी समाज सेवा की भावना बहुत तेजी से जागृत हो गई और इन्होने जब उन परेशान, अनाथ और बृद्ध लोगों के बारें में जानकारी की तो सबसे बड़ी समस्या थी पैसे की कमी और लोगो के पास रोजगार नहीं है, नौकरी नहीं है जिस बजह से वे ना तो किसी की सहायता ही कर पाते है और ना ही अपने जीवन का सपना ही पूरा कर पाते हैं | यहाँ पर S P SINGH SIR ने इस समस्या का कोई सही समाधान निकालने का निर्णय लिया | ऐसा कुछ करने का निर्णय लिया की समाज की सेवा भी हो जाए, अनाथ लोगो को उनके सपने सच करने की जगह मिल जाये और बेरोजगार लोगो को रोजगार मिल जाए | और अपने तमाम एक्सपीरियंस के आधार पर लगातार छान बीन करके लगभग 4500 ऐसे कार्यों की लिस्ट तैयार की जिन्हें अगर देश में लागू कर दिया जाए तो लगभग देश के प्रत्येक नागरिक को रोजगार भी मिल जायेगा और साथ ही एक ऐसी संस्था बनाई जाये जिसमें अनाथ बच्चों को और बृद्ध लोगो को रहने की जगह मिल जाये | अब समस्या ये थी की इतना बड़ा काम करने के लिए तो करोड़ों रुपये की जरूरत पड़ेगी | तो इन्होने इसका भी तोड़ निकाल लिया | और इसका समाधान था crowdfunding | फिर इन्होने crowdfunding के लिए प्लेटफोर्म की तलास की | अगर हम crowdfunding करते है तो कैसे की जा सकती है | यही पर इन्होने लगभग पाँच दिन सोचने के बाद एक नया नाम इनके मन में आया और वो था अपनी संस्था “स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन” का नाम | यहीं से इन्होने यह निर्णय लिया की पैसे कमाने के लिए तो बहुत काम कर लिए अब अपना नाम कमाने के लिए कुछ ऐसा काम करना है जिसे मेरे मरने के बाद भी लोग याद रखें और खुद को पूरी तरह से समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया | और कठोर संकल्प किया की अब मुझे सिर्फ और सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लोगो का सहयोग करना है | एक ऐसे संसथान का निर्माण करना है | अगर कोई हमारी संस्था से जुड़ा है चाहे वो कोई गरीब या अनाथ बच्चा हो या बृद्ध या फिर कोई बेरोजगार सभी के लिए खुशियों के दरबाजे हमेशा खुले हो | और जो भी “स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन को सपोर्ट करेगा उसके जीवन में सिर्फ खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी | अब ऐसा बड़ा N G O तो खोला जा सकता है लेकिन इसके लिए प्रत्येक स्टेट से कम से कम 150 लोग होने चाहिए तभी इसको पूरे देश में संचालित किया जा सकता है और तभी पूरे देश भर में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर ऑफिस और संस्था का सेंटर जिसमें अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया जाये, उनकी पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्ता की जा सकें | आदि को खोला जा सकता है |
इसके लिए इन्होने इन्टरनेट का सहारा लिए और एक YouTube Channel बनाया “SPL लाइव LEARNING” और इसी चैनल के नाम से अपने मिशन की शुरुआत की और लगातार अपने कठिन प्रयासों के माध्यम से लोगो को अपने चैनल के साथ जोड़ना शुरू कर दिया | और 2 महीने बाद अपनी संस्था के बारें में लोगो को बताना शुरू कर दिया | और लगातार 1 साल तक लोगो में आत्म विश्वास जगाया की आप लोग मेरे साथ इस संस्था में सामिल हो जाओ और हम बहुत आगे तक इस संस्था को लेकर जायेगे और ये देश का पहला और एक मात्र ऐसा N G O होगा जिससे जुड़ने वाले लोगो को रोजगार, पैसा और सम्मान सभी को बरावर मिलेगा | हालाँकि इनके पास ऐसे बहुत से लोग थे जो इस संस्था में एक साथ बहुत सारा पैसा लगा सकते थे | लेकिन इन्होने ऐसा नहीं किया और 1 फरबरी 2018 से इन्होने अपनी संस्था के मेम्बर और पार्टनर बनाना शुरू कर दिया और प्रत्येक व्यक्ति से मेम्बर बनने की फीस 1 रुपये रखी, और संस्था में पार्टनर बनने के लिए मात्र 10 रुपये और कोई भी व्यक्ति अधिकतम 110 रुपये ही उस समय दे सकता था | क्योंकि S P SINGH SIR ज्यादा से ज्यादा लोगो को अपने साथ जोड़ना चाहते थे | लेकिन ज्यादातर लोगो ने विश्वास नहीं किया | क्योंकि लोगो को लगा की जो व्यक्ति सिर्फ एक रुपये में मेम्बर बना रहा है वो संस्था क्या कर पायेगी | लेकिन 1 रूपया लेने का उद्धेश्य लोगो से पैसे लेने का नहीं था बल्कि उनको एक मेम्बरशिप स्लिप या नंबर देने का था | और ये काम 1 रूपया लेने से बहुत ही आसान हो गया की जो भी व्यक्ति एक रुपया भी ऑनलाइन देगा तो उसके पास एक ट्रांजक्शन नम्बर जरूर जनरेट होगा और वही नंबर हमारे पास भी तो बड़ी आसानी से लोगो की मेम्बरशिप को कन्फर्म किया जा सकता है !
S P SINGH SIR के तमाम प्रयासों के जबाब में 1 महीने के अन्दर देश भर से अनेकों लोगो ने संस्था में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया और S P SINGH SIR ने सभी मेम्बेर्स की डिटेल के साथ अपना प्रस्ताव भारत सरकार के सामने रखा और वे अपने इस काम में सफल भी हुए | भारत सरकार ने इनका प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया और 16 मई 2018 को संस्था को ” भारतीय संबिधान के अधिनियम संख्या 21, 1860 के अधीन रजिस्ट्रीकृत कर कानूनी तौर पर मान्यता प्रदान की |
जैसे ही संस्था को मान्यता प्राप्त हुयी | बिना कोई देर किये सबसे पहले संस्था के लिए जगह खरीदी और अपनी संस्था के ऑफिस और सेंटर का काम शुरू कर तमाम कार्यों में बिना किसी स्वार्थ के लगातार प्रयास रत है और संस्था के रजिस्ट्रेशन के मात्र 4 महीने के अन्दर संस्था से 40 लाख से अधिक लोगो को जोड़ा जा चूका है जो अपने आप में एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड है | तो दोस्तों आज की विडियो में बस इतना ही आगे के क्रिया कलाप फिर किसी दिन जब तक के लिए आपका धन्यवाद |
लेखक : मंसी गुप्ता
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